tanot mata mandir
जैसलमेर से थार रेगिस्तान में 120 किमी. दूर सीमा के पास स्थित है तनोट माता का सिद्ध मंदिर। जैसलमेर में भारत पाक सीमा पर बने तनोट माता के मंदिर से 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की कई अजीबोगरीब यादें जुडी हुई हैं। 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने इस मंदिर वाले इलाके में 3000 तोप के गोले और बम दागे। लेकिन माता के आशिर्वाद के कारण मंदिर के पास एक भी बम नहीं फटा। जो फटे वो भी रेगिस्तान के दूर इलाके में जाकर जिससे सेना को आंच तक नहीं आई। यही कारण है कि पाकिस्तानी सेना को परास्त करने में तनोट माता की भूमिका बड़ी अहम मानी जाती है। यहां तक मान्यता है कि माता ने सैनिकों की मदद की और पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। इस घटना की याद में तनोट माता मंदिर के संग्रहालय में आज भी पाकिस्तान द्वारा दागे गये जीवित बम रखे हुए हैं। 3000 पाकिस्तानी तोप के गोले भी रहे बेअसर पाकिस्तान ने रात के सन्नाटे में तीन अलग-अलग दिशाओं से तनोट पर भारी बम-बारी किया। दुश्मन के तोपखाने जबर्दस्त आग उगलते रहे। यहां तक कि 3000 बमों में से 450 बम केवल मंदिर परिसर में गिरे लेकिन वो भी बेअसर रहे। ये गोले आज भी इस मंदिर में रखे हैं, जो यहां जाने वाले लोगों के लिए सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बन गए हैं। 4 किमी. अंदर तक आ गई थी पाकिस्तानी सेना कब्जा करने के उद्देश्य से पाकिस्तान ने भारत के इस हिस्से पर जबर्दस्त हमले किए लेकिन उन्हे कामयाबी नहीं मिली। युद्ध के दौरान पाक सेना 4 किमी. अंदर तक हमारी सीमा में घुस आई थी। बाद में जब भारतीय सेना हावी हो गई, उन्होंने जवाबी आक्रमण किया जिससे पाकिस्तानी सेना को भयंकर नुकसान हुआ और वे पीछे लौट गयी। सेना के जवान बने मंदिर का कवच माता का मंदिर जो अब तक सुरक्षा बलों का कवच बना रहा, शान्ति होने पर सुरक्षा बल इसका कवच बन गये। मंदिर को बीएसएफ ने अपने नियंत्रण में ले लिया। आज यहां का सारा प्रबंध सीमा सुरक्षा बल के हाथों में है। मंदिर के अंदर ही एक संग्रहालय है जिसमें वे गोले भी रखे हुए हैं। पुजारी भी सैनिक ही है। बन चुकी है फिल्म सुबह-शाम आरती होती है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर एक रक्षक तैनात रहता है, लेकिन प्रवेश करने से किसी को रोका नहीं जाता। फोटो खींचने पर भी कोई पाबंदी नहीं। इस मंदिर की ख्याति को हिंदी फिल्म 'बॉर्डर' की पटकथा में भी शामिल किया गया था। दरअसल, यह फिल्म ही 1965 युद्ध में लोंगेवाल पोस्ट पर पाकिस्तानी सेना के हमले पर बनी थी। सपने में माता ने सैनिकों से किया था बात सैनिकों ने यह मानकर कि माता हमारे साथ है, कम संख्या में होने के बावजूद दुश्मन के हमलों का करारा जवाब दिया और उसके सैकड़ों सैनिकों को मार गिराया। पाक सेना भागने को मजबूर हो गई। कहते हैं सैनिकों को माता ने स्वप्न में आकर कहा था कि जब तक तुम मेरे मंदिर के परिसर में हो मैं तुम्हारी रक्षा करूंगी। पाकिस्तान के लिए बन गया था कब्रिस्तान 4 दिसंबर 1971 की रात को पंजाब रेजीमेंट की एक कंपनी और सीमा सुरक्षा बल की एक कंपनी ने मां के आशीर्वाद से लोंगेवाला में पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजीमेंट को धूल चटा दी थी। लोंगेवाला को पाकिस्तानी टैंकों का कब्रिस्तान भी कहा जाता है।
tanot mata history
120 km from Jaisalmer in the Thar Desert,Tanot Mata temple is located near the border proved far. Made on the Indo-Pak border in Jaisalmer 1971 Indo-Pakistani War of Tanot Mata Temple many funny memories are connected. During the 1971 war with Pakistan in the temple area, fired 3,000 shells and bombs. But the mother's blessings, not bombs exploded near the temple. He went to the desert area torn off which the army did not fire.
That is why the role of the Pakistani army to defeat Tanot mother is considered a key. Even the recognition that helped mother and Pakistani army troops had to retreat. Tanot Mata temple in memory of the event in the museum were still alive bombs were fired by Pakistan.
3000 Pakistani shells are also ineffective Pakistan in the dead of the night from three different directions to turn Tnot huge bomb. Intense enemy artillery were belching fire. Even in 3000, the 450 bomb bombs fell in the temple, but they are also ineffective. These shells are still housed in the temple, to which most of people here have become the center of attraction.
4 km. Came up in the Pakistan Army In order to capture this part of India, Pakistan, but they did not get the big attack. Pakistan army during the war of 4 km. Was stepped up in our range. After dominating the Indian Army, he counter-attacked the Pakistani army was severely damaged and they go back.
Army's armor temple Mata temple of the security forces remained armor, the armor forces became at peace. Temple BSF took control. Manage all of today is in the hands of the BSF. Inside the temple is a museum in which the shells are kept. The priest is the military.
Film has become Morning and evening prayers are. A guard is posted at the main entrance of the temple, but would not prevent anyone from entering. No restrictions on photo. Reputation of the temple Hindi film "Border" was included in the script. Indeed, the film in the 1965 war, the Pakistani army attack was about Longewal post.
Assuming that the mother is with us troops, despite the small number of enemy attacks knocked and his troops killed hundreds. Pak army was forced to flee. The mother was in a dream and said soldiers say that unless you're in my temple complex I will protect you.
Pakistan became a graveyard for On the night of December 4, 1971, a company of the Punjab Regiment and a company of BSF blessed mother Longewala was beating Pakistan in the tank regiment. Longewala cemetery called the Pakistani tanks.