Movie Review: PK by amir khan
Genre: कॉमेडी ड्रामा Director: राजकुमार हिरानी
''संसार में भगवान एक नाही दूइ तरह के होते है। एक जउन हम लोगो को बनाये है अउर दूसरा जेकरा के संसार के बाबा लोग बना के मंदिर में बइठा दिये है।'' कुछ ऐसे ही क्रांतिकारी और निडर संवादो से राजकुमार हिरानी की फिल्म 'पीके' ईश्वर के नाम पर चल रहे धार्मिक उद्योगों पर सवालिया निशान लगाती है।
story of movie 'pk'
कहानी पीके (आमिर खान) एक एलियन है। जब उसका यान धरती पर उतरता है और वह बाहर आता है, तो खुद को एक नई दुनिया में देखकर हैरत में पड़ जाता है। इसी दौरान पीके का लॉकेट (जिससे वह अपने ग्रह के संपर्क में रह सकता था) कोई चुरा लेता है। पीके अपनी लॉकेट को ढूंढता है, लेकिन वह उसे नहीं मिलता। वह अपनी लॉकेट को ढूंढते हुए एक शहर में दाखिल होता है और यहां उसकी मुलाकात एक टीवी रिपोर्टर जगत जननी (अनुष्का शर्मा) से होती है। अपनी लॉकेट की तलाश करते हुए वह भोजपुरी भी सीख जाता है और इसी भाषा में संवाद करता है। वह व्यवसाय में तब्दील हो चुके धर्म के बंधक बन चुके भगवान को मुक्त कराने की बात करता है, जो लोगों को अटपटी लगती है। फिल्म मासूम पीके के तार्किक सवालों के साथ मनोरंजक ढंग से आगे बढ़ती है, जिसमें उसके साथ कुछ लोग जुड़ते चले जाते हैं। पीके की बातों का धीरे-धीरे लोगों पर असर पड़ता है। पीके कहता है कि धार्मिक आस्था पे सवाल नहीं उठाये जाते, क्योंकि ये विश्वास का मामला है। कई बार तो इस मामले में लोगों को गोली भी खानी पड़ जाती है। 'पीके' में निर्देशक राजकुमार हिरानी ने धर्म और भगवान पर इतने सवाल उठाए हैं कि फिल्म खत्म होते-होते लगता है कि हमने भगवान की उस मूरत को धो के साफ कर दिया है, जिसे सालों से ढोंगी धर्माधिकारियों ने गंदी कर मुनाफे का जरिया बनाया हुआ था। फिल्म यह दिखाने की सफल कोशिश करती है कि एक दूसरे ग्रह से आए हुए इंसान और इस धरती के आम इंसानों की तकलीफ कितनी मिलती-जुलती है। पटकथा राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी ने अपनी लेखनी से एक ऐसी कहनी का ताना-बाना बुना है, जिसके बहाने एक आम आदमी का दर्द बखूबी उभर कर सामने आता है। धर्म और आस्था के नाम पर चल रहे खेल को दोनों ने मनोरंजक, लेकिन तार्किक ढंग से पेश किया है। फिल्म की पटकथा इतनी भर ही नहीं हैं। 'पीके' में और भी कई ऐसे मुद्दे उठाए गए हैं, जिन्हें हम जानते हुए भी नजरअंदाज कर देते हैं। फिल्म की पटकथा कसी हुई और शानदार है। डायरेक्शन राजकुमार हिरानी ने एक बार फिर से 'पीके' में दर्शन को फिल्म की कथा का आधार बनाया है। 'लगे रहो मुन्ना भाई' में उन्होंने गांधीवाद को आज के युग में भी प्रासंगिक कर दिखाया तो 'पीके' में कबीर की छाप दिखाई देती है। राजू का डायरेक्शन बॉलीवुड के मसाला फिल्माकारों से हटके है, लिहाजा दर्शकों को हर फ्रेम में आनंद आता है। उन्होंने जितनी खूबसूरत पटकथा अपने साथी अजिताभ जोशी के साथ मिलकर लिखी है, उतना ही शानदार निर्देशन भी किया है। एक्टिंग पीके की भूमिका में आमिर खान ने अविस्मरणीय अभिनय किया है। बाकी कलाकारों ने भी अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। अनुष्का शर्मा फिल्म में अच्छी लगती हैं और उनका किरदार जगत जननी ताजगी का अहसास करवाता है। संजय दत्त अनूठे लगे हैं। बोमन ईरानी और सौरभ शुक्ला बहुत मजेदार है और सुशान्त सिंह राजपूत बहुत फ्रेश लगते हैं। क्यों देखें राजकुमार हिरानी का सिनेमा हर बार एक अपना अलग संसार रचता है, जिसमें ढेर सारे गंभीर मुद्दों को हास्य में पिरोकर दर्शकों को वह अपनी बात समझा जाते हैं, लेकिन 'पीके' एक अति संवेदनशील मुद्दे पर आधारित फिल्म है। फिल्म दर्शकों का खूब मनोरंजन करती है और जाते-जाते मन में कुछ ऐसे सवाल छोड़ देती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कुल मिलाकर दर्शकों को ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए।
Story of Aamir Khan's PK
PK (Aamir Khan) is an alien. When the shuttle lands on Earth and he comes out to see themselves in a new world, is taken by surprise. Meanwhile, the locket PK (which he could stay in touch with your planet) no steals. PK seeks her locket, but he does not get it. He is enrolled in a city while finding his locket and a TV reporter he met the mother universe (Anushka Sharma) occurs. Find your locket, he is also learning Bhojpuri and communicate in the language is the same. He turned into the business of religion has become hostage talks to liberate God, which seems bizarre ones. PK innocent entertaining manner of film moves with logical questions which go to connect with people. PK has an impact on people's things slowly. PK says that religious beliefs are taken on the question, because it is a matter of faith. In this case also eat often becomes the shooting.
'PK' directed by Rajkumar Hirani religion and God By the end of the movie are so many question marks that we have of God is clear to wash the statue, which creeps years prelates her to the filthy profits was born. The film tries to show that success came from another planet and the human suffering of the common people of the earth is so similar.
Screenplay in Aamir Khan's PK
Rajkumar Hirani and Joshi aristocrats of his writings is fabricated of a say, which emerges shed is a common man's pain well. In the name of religion and faith are both entertaining game, but is presented in a logical manner. If the script is not so long. "PK" and also raised many issues, knowing we have chosen to ignore. The script is tight and spectacular.
Direction in Aamir Khan's PK
Rajkumar Hirani once again 'PK' philosophy is the basis of the film's narrative. 'Lage Raho Munnabhai' He did Gandhi relevant in today's era the 'PK' appears impression of Kabir. Raju is also across from the direction Filmakaron Bollywood Masala, so the audience enjoys every frame. The beautiful script he wrote with his partner ajitaabh Joshi, is directed equally brilliant.
Acting in Aamir Khan's PK
Aamir Khan has acted in the role of PK unforgettable. Other artists who have their best. Anushka Sharma and his character in the film industry loves the mother gets a feeling of freshness. Sanjay Dutt are unique. Boman Irani and Saurabh Shukla, Sushant Singh Rajput's great fun and a fresh start.
rating of movie 'PK'
Rajkumar Hirani gimmick of the cinema world is a different one each time, which a lot of humor to serious issues are suspended explain to his audience, but the 'PK' is based on a highly sensitive issue. Going plenty to entertain the audience and leaves some questions in mind, which can not be ignored. Overall, the audience should see this film definitely.