अनाज की बोरियां चढ़ाने-उतारने वाले मजदूरों की सैलरी 4 लाख रुपए महीने

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फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में मजदूरों की सैलरी 4 लाख रुपए प्रति महीना

अनाज की बोरियां चढ़ाने-उतारने वाले मजदूरों की सैलरी 4 लाख रुपए महीने

डॉक्टरों, बिजनेस प्रोफेशनल्स और इंजीनियरों की मासिक सैलरी लाखों में होना एक बार सामान्य सा लगता है, लेकिन सरकारी फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) में कुछ ऐसे मजदूर हैं, जिनकी मासिक आय इससे भी ज्यादा है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2014 में यहां काम करने वाले 370 वर्करों को 4 लाख रुपए का वेतन दिया गया। इस सैलरी में भत्ते, इनसेंटिव, एरियर और ओवरटाइम भी शामिल है। इसके अलावा, इसी महीने 386 वर्करों को 2 से ढाई लाख रुपए की सैलरी दी गई।

अखबार ने कुछ दस्तावेजों के हवाले से दावा किया है कि एफसीआई में कथित तौर पर कुछ 'मजदूर गैंग' हैं, जिन्होंने एक खास सिस्टम बना रखा है। इसके तहत सरकारी खजाने से इन्हें इतने बड़े पैमाने पर सैलरी और भत्ता आदि मिलता है। खबर के मुताबिक, हड़ताल की धमकियों के अलावा एफसीआई मैनेजमेंट और वर्करों के बीच हुए कुछ कड़े समझौतों की वजह से वर्करों को मिलने वाले भत्तों में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। इसके अलावा, वर्करों की कमी ने भी इस समस्या को और बढ़ाया है। हालांकि, कुछ डिपो में अतिरिक्त मजदूर भी हैं, लेकिन बहुत सारे जगह ऐसे हैं, जहां वर्क लोड बहुत ज्यादा है।

क्या है तरीका

एफसीआई के सूत्र और एक्सपर्ट बताते हैं कि अच्छी सैलरी पाने वाले लोडर अपने नाम पर मजदूरों को रख लेते हैं, जिन्हें वे अपना काम करने के लिए 7 से 8 हजार रुपए देते हैं। कितनी बोरी लोड किए गए या उतारे गए, इस आधार पर भी वेतन मिलता है। सूत्रों के मुताबिक, लोडिंग व अनलोडिंग के आंकड़ों को बढ़ाचढ़ाकर बताया जाता है ताकि ज्यादा सैलरी ली जा सके। यहां तक कि कभी कभी लोड किए जाने वाले बोरों की संख्या 500 से भी ज्यादा बताई जाती है।